गैस मैलट आर्क वेल्डिंग (gas metal arc welding, GMAW) ,MIG/MAG WELDING KYA HAI

गैस मैलट आर्क वेल्डिंग (gas metal arc welding, GMAW)

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 इस वेल्डिंग में कार्यखंड और लगातार चलने वाली मेटल इलेक्ट्रोड के मध्य आर्क बनाई जाती है। इस आर्क के द्वारा उत्पन ऊष्मा कार्यक्रम की वेल्डिंग वाली सतह तथा इलेक्ट्रोड दोनों को पिघलाकर एक समांग मिश्रण बनाती है। इलेक्ट्रोड पर कोई फ्लक्स नहीं होती। वैल्ड मेटल को वायमंडलीय ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन आदि गैसों से बचाने के लिए इनर्ट गैस के कवच से आर्क  तथा वैल्ड पुल को ढकते हैं। इसके लिए वेल्डिंग बन में विशेष इंतजाम किया जाता है। इनर्ट गैस के रूप में आर्गन या हीलियम या दोनों का मिश्रण प्रयोग किया जाता है। इसे मेटल इनर्ट गैस वेल्डिंग कहते हैं। जबकि एक्टिव गैस के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड CO2 गैस प्रयोग की जाती है इसे मेटल एक्टिव गैस (mag) वेल्डिंग कहते हैं। जब इनर्ट गैस प्रयोग की जाती है तो उसे मेटल इनर्ट गैस वेल्डिंग (mig) वेल्डिंग से जाना जाता है। Mig और mag दोनों ही सेमी ऑटोमेटिक विधियां है।



इसके मुख्य भाग निम्न प्रकार है_

1 पावर सोर्स

2 वायर फीडिंग डिवाइस 

3 वेल्डिंग गन 

4 कंट्रोल यूनिट 

5 गैस सप्लाई आदि

1 पावर सोर्स_ गैस मेटल अर्क वेल्डिंग में डीसी पावर सप्लाई की जाती है इसके लिए डीसी मोटर जेनरेटर या रेक्टिफायर रेक्टिफायर का प्रयोग किया जाता है। साधारणत: 200_250 एंपियर तक की करंट प्रयोग की जाती है।

2 वायर फीडिंग डिवाइस_ वायर फीडिंग डिवाइस के द्वारा ऑटोमेटिकली फीड वायर को स्पूल से वेल्डिंग गन के अंदर से होते हुए आर्क में फीड किया जाता है। आर्क  द्वारा वायर लगने की स्पीड के अनुसार व बीड की वांछित मोटाई के अनुसार वायर को फीड किया जाता है।


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3 वेल्डिंग गन _ गैस मेटल आर्क वेल्डिंग गन विशेष रुप से इस प्रक्रिया की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाई गई है इस गन के द्वारा शिल्डिंग गैस तथा पानी आदि का फ्लो भी नियंत्रित किया जाता है पतली प्लेटो की वेल्डिंग जहां पतले इलेक्ट्रोड वायर को 200 एंपियर से अधिक करंट की आवश्यकता होती है इसके लिए वाटर कूल्ड वेल्डिंग गन प्रयोग की जाती है।



4 कंट्रोल यूनिट_ शिल्डिंग गैस, कूलिंग वाटर चौथा करंट आदि को नियंत्रित करने के लिए कंट्रोल यूनिट लगा होता है इसके स्विच दो गन में होते हैं परंतु कंट्रोल मैकेनिज्म कंट्रोल यूनिट में ही होता है।

इसमें उचित आर्क ओल्टेज का निर्धारण बहुत आवश्यक है यह निम्न बातों पर निर्भर करता है।

1 जोड़े जाने वाली चादरों की मोटाई।

2 इलेक्ट्रोड की धातु का कंपोजीशन।

3 जोड़ का प्रकार।

4 वेल्डिंग पोजीशन।

गैस मेटल आर्क वेल्डिंग में एक ही मोटाई के वायर से विभिन्न मोटाई की धातु वैल्ड की जा सकती है। उच्च करंट प्रयोग करने से अच्छा पेनिट्रेशन प्राप्त होता है परंतु अंडर कट का दोष आने की संभावना रहती है। निम्न करंट प्रयोग करने से अंडरकट का दोष नहीं आता। करंट की मात्रा का निर्धारण वैल्ड वायर की फीड पर निर्भर करता है।

5 गैस सप्लाई_ इस प्रक्रिया में वेल्डिंग बीड को वायुमंडल प्रभाव से बचाने के लिए शिल्डिंग गैसों का प्रयोग किया जाता है यह गैसे वेल्डिंग गन से निकलकर वेल्डिंग क्षेत्र के ऊपर फैल जाती है तथा उस क्षेत्र से वायु को बाहर धकेल देती है। शिल्डिंग गैस आर्क द्वारा उत्पन्न उस्मा को भी प्रभावित करती है। इसलिए अलग प्रकार की वेल्डिंग के लिए विशेष शिल्डिंग गैस प्रयोग की जाती है जिसे नीचे सूचीबद्ध किया गया है।

लो आलय स्टील _ आर्गन या आर्गन +2% ऑक्सीजन

कार्बन स्टील_आर्गन +5% ऑक्सीजन 

टिटैनियम _ आर्गन

स्टेनलेस स्टील_  आर्गन+ 5% ऑक्सीजन 

तांबा ( 3 मिमी मोटाई तक ) _ आर्गन

तांबा ( 3 मिमी से अधिक) _ आर्गन+ 50_ 75% हीलियम 

एलुमिनियम ( 25 मिमी तक )_आर्गन 

शिल्डिंग गैसों का चुनाव निम्न बातों पर निर्भर करता है_

1 धातु ट्रांसफर होने का गुण 

2 पेनिट्रेशन

3 वैल्ड बीट की चौड़ाई 

4 रिइंफोर्समेंट का आकार

5 वेल्डिंग की चाल

6 वैल्ड मेटल का प्रकार 

7 आर्गन गैस हिलियम की तुलना में भारी होती है इसीलिए अच्छा शिल्डिंग ब्लैंकेट बनाती है आर्गन गैस का उपयोग पतली चादरों को वैल्ड करने के लिए किया जाता है। आर्गन गैस हिलियम की तुलना में कम खर्च होती है हिलियम गैस को अधिक वोल्टेज में उपयोग किया जाता है तांबे के लिए अधिक आर्क वोल्टेज की आवश्यकता होती है इसीलिए इसके लिए हिलियम का उपयोग किया जाता है आर्गन गैस में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) मिलकर स्टील की वेल्डिंग आसानी से की जा सकती है। इससे वैल्ड जोड़ में पोरोसिटी नहीं आती तथा उसकी सामर्थ बढ़ती है इसके उपयोग से अंडरकट भी नहीं आता है माइल्ड स्टील ms की वेल्डिंग कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के वातावरण में की जाती है इससे अच्छा पेनिट्रेशन तथा स्पीड बनती है/ 

वेल्डिंग शुरू करने से पूर्व पानी का फ्लो, गैस तथा फीड वायर की चाल आदि सेट कर दी जाती है। वेल्डिंग के समय टॉर्च, कार्य खंड से लगभग 10_12 मिली मीटर दूर रहती है आंख की लंबाई 1.5 से 4 मिमी के मध्य रहती है इलेक्ट्रोड एक क्वायल के रूप में रहती हैं। तथा इस वायर को मोटर द्वारा रोलर को घुमा कर फीड किया जाता है मोटर की चाल को कम या ज्यादा करके इलेक्ट्रोड को कम या अधिक गलाया जा सकता है/

 MIG वेल्डिंग के लाभ_

1 लगातार वेल्डिंग होने के कारण MIG/MAG वैल्डिंग TIG वेल्डिंग से अधिक तेज कार्य करती है।

2 अधिक गहरे पेनिट्रेशन के जोड़ बना सकती है।

3 पतले तथा मोटे दोनों प्रकार के जोड़ बनाए जा सकते हैं।

4 साफ-सुथरे मैटर रहीत जोड़ बनाए जा सकते हैं तथा चिपिंग की आवश्यकता नहीं रहती है।

MIG WELDING KI उपयोगिता_

1 इस विधि का प्रयोग कार्बन स्टील, सिलिकॉन स्टील कथा लो अलाय स्टील के लिए तथा stainless-steel, एलुमिनियम,  कॉपर, निकील तथा उनके अलाय सभी के लिए प्रयोग की जा सकती है।

2 टूल स्टील तथा हाई_स्टील के लिए भी प्रयोग की जाती है।

3 एयरक्राफ्ट, ऑटोमोबाइल तथा प्रेशर वेल्डिंग और पानी के जहाज बनाने की इंडस्ट्रीज में सफलतापर्वक प्रयोग की जाती है।

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