वेल्डिंग का परिचय- अस्थायी,अर्द्ध स्थायी जोड़ , जोड़ ,स्थायी जोड़ ,रिवित जोड़ , लैप जॉइंट, बट जॉइंट welding theory

 वेल्डिंग का परिचय-              welding (weldingwelder.blogspot.com)

 धातु पार्ट्स को फ्यूज़न तापमान तक  पिघला कर ,प्रैशर देकर या बिना प्रैशर दिए जोड़ने की प्रोसेस को वेल्डिंग कहते है। 

      वेल्डिंग प्रतिदिन उपयोग में आने वाली बहुत सी वस्तुओ को निर्माड करने में उसके उसके छोटे -छोटे भागो का निर्माड कर, उन भागो को आपस में जोड़कर उस वस्तु का निर्माड किया जाता है।  कभी - कभी ये जोड़ इस प्रकार के होते है कि उन्हें बार -बार खोलकर अलग करना होता है या उन्हें कुछ समय बाद बदलना पड़ता है।  ऐसे जोड़ो को नट - बोल्ट या स्क्रू के द्वारा जोड़ा जाता है जबकि कुछ जोड़ इस प्रकार होते है कि एक बार लगने के बाद उन्हें फिर पुनः खोलने की जरूरत नहीं होती उन्हें रिविट की सहयता से जोड़ा जाता है। जोड़ लगाने की विधि को तीन भागो में विभाजित किया गया है -

१ अस्थायी जोड़ 

२ अर्द्ध स्थायी जोड़ 

३ स्थायी जोड़ 

१ स्थस्यी जोड़ - मशीन के विभिनन पार्ट्स को आपस में असेम्बल करने के लिए अस्थयी जोड़ो का प्रयोग किया जाता   है  इस प्रकार के जोड़ो को सुविधापूर्वक खोला या बनाया जाता है खोलने पर कोई भी पार्ट या फास्टनर ख़राब नहीं होता।  अतः मशीन के चलने से ख़राब हुए पार्ट को ही बदलने की जरूरत होती है इन जोड़ी के लिए नट बोल्ट, स्टड की, काटर तथा स्क्रू etc का प्रयोग किया।  

अर्द्ध स्थायी जोड़ -  अर्द्ध- स्थायी जोड़ ऐसे स्थानों पर प्रयोग किये जाते है जहाँ पार्ट्स को खोलने की संभावना बहुत काम होती है।  इस प्रकार के जोड़ो में प्रयोग होने वाले फास्टनर, जोड़ को  खोलने में नस्ट हो जाते है परन्तु पार्ट्स सलामत रहते है ऐसे जोड़ो में निम्न विधिया अति है -

a रिवित जोड़ 

b तह जोड़ 

c  सोल्डर जोड़                       welding (weldingwelder.blogspot.com)

a   रिवित जोड़ - चादरों को आपस में जोड़ने के लिए रीवित का प्रयोग किया जाता है। ये नरम धातु के बनाये जाते है ; जैसे - ताम्बा , ब्रास, एलुमीनियम माइल्ड स्टील आदि रीवित के हैड का आकर के अनुसार ये कई प्रकार के होते है . रिवित का स्पेसीफिकेशन देने के लिए उसकी धातु ,लम्बाई व्यास तथा हैड का प्रकार बताना आवश्यक है। 


 

       इस विधि का प्रयोग प्लेटो और चादरों के द्वारा बनी वस्तुओ  में होता है. इस विधि के द्वारा जोड़ लगाने के लिए शीट या प्लेट को एक दूसरे के ऊपर रख कर बारमें या सुए  की सहयता से छिद्र किया जाता है और छिद्र में रीवित रख कर हथौड़े  की सहायता से सिर बनाकर जोड़ पूरा किया जाता है।  जिस धातु को आपस में जोड़ना हो उसी धातु के रीवित प्रयोग में लाये जाते है।  यह जोड़ अधिकतर बाल्टियों ,कब्जो ,हैंडल ,बायलर एव रेलगाड़ियों के डिब्बों में लगाए जाते है छोटे रीविट  ठंडी अवस्था ने ही प्रयोग किये  जाते है जबकि  बड़े रिविटो के हैड  पीटने के लिए उन्हें गर्म करके स्नेप या हेमेर की सहायता से पिटा जाता है।   

    ये दो प्रकार के होते है -

a लैप जॉइंट 

b  बट जॉइंट 

a  लैप जॉइंट -  लैप जोड़ में जोड़े जनी वाली चादरों के सिरो को एक-दूसरे पर चढ़ाकर रिविटिंग की जाती है इस में अलग से कोई चादर का टुकड़ा लगाने की जरूरत नहीं होती है।  तदनुसार उन्हें सिंगल रिविटेड लैप जोड़ ,डबल रिवित लैप जोड़, चेन टाइप तथा जिग -जेग  टाइप होते है। 



b बट जॉइंट - बट जोड़ बनाने  के लिए जोड़े जाने वाले चादरों के सिरों की टक्कर मिलते है तथा उस पर अलग से चादर का टुकड़ा रख कर , उसके दोनों सिरों में रिविटिंग करते है  इस चादर के टुकड़े को स्टैप कहते है जोड़ की मजबूती के अनुसार एक या दो स्टेप प्रयोग किये  जाते है। 

१ सिंगल स्टेप जॉइंट 

२ डबल स्टेप जॉइंट 




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